मेडिकल जगत में बहुत प्रकार के रोग हैं, परंतु
कुछ रोग ऐसे होते हैं जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता क्यूंकि रोग शारीरिक न होकर मानसिक जब हो तो रोगी इससे
अनभिज्ञ होता है । इसी प्रकार का एक मानसिक रोग है | जिसका नाम बाइपोलर
डिसऑर्डर है (Bipolar disorder).
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या होता है ?
यह एक तरह का मानसिक रोग है, जिसमें मन लगातार कई हफ़्तो या महिनों तक या
तो उदास और दुखी रहता है या फिर बेहद खुश रहता है । उदासीनता की स्थिति में
नेगेटिव विचार आते हैं । यह एक ऐसा रोग है जो 100 लोगों में से किसी एक इंसान को कभी न कभी
होता है ।
14 से 19 साल के बीच के बच्चों में यह बीमारी देखी
जाती है जिसमे महिला और पुरुष दोनों प्रभावित होते हैं । इस रोग की विशेषता है की 40 साल होने के बाद इसके होने की संभावना कम हो
जाती है ।
मानसिक रोग, है तो ये दो
अलग शब्द पर ये एक बड़े मानसिक विकार को जोड़ते हैं । एक का मतलब है मनोदशा में
बदलाव,
जो प्राकृतिक
होता है ब्यक्ति का है और दूसरा है अवसाद यानि उदासीनता । ये दो विकार व्यक्ति में
बाइपोलर डिसऑर्डर को जन्म देते हैं ।
बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार व्यक्ति को समाज से संबंध बनाए रखने और काम करने
में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या होते हैं ?
क्यूंकि ,बाइपोलर
डिस्ऑर्डर एक मानसिक रोग है, इसलिए इसके बहुत अधिक लक्षण नहीं है,लेकिन जो लक्षण है, उससे आप आसानी से इसका पता लगा सकते हैं और आपको
रोगी में इसके लक्षण का आभास हो जाएगा । अगर आप किसी व्यक्ति के साथी हैं और वह इस
रोग से ग्रसित है तो आपको इसके लक्षण की पहचान हो जाएगी| आपको लगेगा ये अचानक क्या
हो गया इसे |
एक मिनट या पल-पल में मूड का बदलना
“पल में शोला पल में माशा “ ये गाना तो आपने सुना तो होगा ही वही हाल होता है
|
उस व्यक्ति के स्वभाव में पल-पल बदलाव
आ रहा है, यानी कभी वो
बहुत खुश और कभी बेहद दुखी हो रहा है और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो ये बाइपोलर डिसऑर्डर ही है है ।
यह एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ रोगी एक समय पर अकारण ही आनंद से भरा रहता है
और दूसरे ही पल डिप्रेस्ड हो जाता है ।
इसका अगर उदाहरण दिया जाए तो - रोगी किसी भी बात पर हंस सकते हैं और दुसरे ही
पल बहुत उदास या बेहद दुखी हो सकते हैं, लगता है मानो वह सामान्य स्थिति में नहीं हैं
।
हड़बड़ी करना, तेज़ी से रुपए खर्च
करना
चलते-चलते एक एक बहुत अधिक गति में आ जाना, बाज़ार में अचानक धड़ल्ले से खरीदीरी शुरु कर
देना,
विचलित हो जाना
भी बाइपोलर डिसऑर्डर का ही लक्षण है ।
इस मानसिक रोगी के लिए आजतक किसी दवा ने बहुत अधिक सफलता प्राप्त नहीं की है, लेकिन एक सत्यं यह भी है कि दवाएं कुछ हद तक मरीज की सहायता अवश्य ही करती हैं ।
बाइपोलर डिसऑर्डर के
उपचार करने और इसे ठीक करने के लिए अलग-अलग प्रकार की थेरेपी हैं । पर अभी तक
एकमात्र ऐसी चिकित्सा है जिसके बल पर रोगी से बात करने और उसका पूरा ध्यान
नकारात्मक यानी नेगेटिव विचारों, भावनात्मक
प्रतिक्रियाओं और व्यवहार से हटाने में सफलता मिली है।
मानसिक शिक्षा
मनोशिक्षा
चिकित्सा का ही अंग है । इस तरह की चिकित्सा
रोगी की मन: स्थिति को सशक्त बनाने पर केंद्रित करती है और यह रोगी को आत्मविश्वास
से भर देती है ।इस तरह उसके मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि
होती है और वह सामान्य होना शुरु कर देता है|
फैमिली थेरेपी
यह थेरेपी एक मनोवैज्ञानिक प्रैक्टिस यानि अभ्यास है । रोगी के परिवार
के सदस्योंऔर उसके चाहने वाले मित्रों आदि को इकट्ठा कराकर आपसी मनमुटाव को हल
करने की कोशिश की जाती है । यह थेरेपी परिवार और रोगी के बीच नईं नींव रखती है और
रोगी के मुद्दों को समझने के लिए परिवार वालों को सक्षम बनाती है ।
मनोचिकित्सा से बेहतर हो होमियोपैथ के अच्छे डॉक्टर जो मानसिक लक्षण को देख कर इलाज़ करते हैं उनसे मिले और
अपना केस दें |
यह एक टॉक थेरेपी होती है जो विशेष रूप से रोगी के मानसिक और व्यवहार संबंधी
विकारों पर केंद्रित होती है ।
दवाओं के द्वारा उपचार
पश्चात् चिकित्सा में इसका कोई सटीक इलाज़ नही है पर अगर किसी अच्छे होमियोपैथ
चिकित्सक से मिले जो मनसिक लक्षण के आधार पर चिकित्सा करता है तो वो रोग के बारीक़
लक्षणों को देख कर रोगी को सदाके लिए निरोगी कर सकता है |
निष्कर्ष
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज धीमा होता है और ऐसे
में रोगी और परिवार जनों को धैर्य रखने की आवश्यकता होती है |
अगर अच्छी लगी जानकारी तो शेयर करना न भूले |
www.drmayankmadhu.com
Superb 👌
ReplyDelete