इम्युनिटी कितने प्रकार के होते हैं ?और कोरोना होने पर इससे कितने दिन के लिए इम्यून रह सकते हैं हमलोग ?
ह्मोयूमोरल इम्युनिटी (humoral immunity ) और दूसरा है सेल मेडीयेटेड (cell mediated immunity) |
ह्मोयूमोरल इम्युनिटी (humoral immunity )क्या होता है ?
आईये थोडा बिस्तार से जाने , हमारे शरीर में मैक्रोमोलेक्यूलस होते है जैसे एंटीबॉडीज, प्रोटीन सप्लीमेंट और कुछ एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स | ह्यूमर या ह्मोयूमोरल इम्युनिटी ( इम्यूनिटी को इसलिए नाम दिया गया है क्योंकि इसमें ह्यूमरस (humors) या शरीर के तरल पदार्थों (body fluids )में पाए जाने वाले तत्व शामिल होते हैं|
टी सेल अपने इनएक्टिव रूप में रहता है जब तक कोई बाहरी एंटीजन (MHC II)न आये ,और इसके आने पर cytokine रिलीज़ होता है जिसके द्वारा दोनों के बिच संम्बंध अस्थापित होती है ,और एक केमिकल इंटरलुकिन 1 इस टी सेल्स को उत्तेजित कर हेल्पर टी सेल में बदल देता है | उसके फिर दो प्रकार है cd4 सेल्स और cd8 सेल्स |
ह्मोयूमोरल इम्युनिटी (humoral immunity )क्या होता है ?
आईये थोडा बिस्तार से जाने , हमारे शरीर में मैक्रोमोलेक्यूलस होते है जैसे एंटीबॉडीज, प्रोटीन सप्लीमेंट और कुछ एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स | ह्यूमर या ह्मोयूमोरल इम्युनिटी ( इम्यूनिटी को इसलिए नाम दिया गया है क्योंकि इसमें ह्यूमरस (humors) या शरीर के तरल पदार्थों (body fluids )में पाए जाने वाले तत्व शामिल होते हैं|
ह्मोयूमोरल इम्युनिटी प्रतिक्रिया में, पहले बी कोशिकाएं (b –c ells
) अस्थि मज्जा (bone
marrow) में परिपक्व (matures) होती हैं और बी-सेल रिसेप्टर्स (b-cell
receptors/बीसीआर) प्राप्त करती हैं
जो कोशिका की सतह पर बड़ी संख्या में प्रदर्शित (imbedded or displayed on cell
surfaces) होती हैं।
इन झिल्ली-बद्ध प्रोटीन
परिसरों ( membrane bounded
complex ) में एंटीबॉडी होते हैं जो एंटीजन (
antigens) पहचान के लिए विशिष्ट
(specified) होते हैं। प्रत्येक बी
सेल में एक अद्वितीय (specific )एंटीबॉडी होता है जो एक
एंटीजन के साथ बांधता है। परिपक्व (mature) बी कोशिकाएं अस्थि मज्जा(bone marrow) से लिम्फ नोड्स या अन्य लसीका (
lymphatic organs) अंगों में स्थानांतरित (chanelized
) हो जाती हैं, जहां वे पैथोजेन्स का सामना करना शुरू करते हैं |
बी सेल एक्टिवेशन (activation)
जब बी सेल एक एंटीजन का
सामना करता है, तो एंटीजन रिसेप्टर से
बंधा होता है और एंडोसाइटोसिस द्वारा बी सेल के अंदर ले जाता है। और एक रिएक्शन
करता है |
बी सेल प्रसार( b cell
proliferation )
बी सेल परिसर( b – cell complex) में बांधने के लिए
एक सहायक टी सेल (TH) की प्रतीक्षा करता है। यह
बाइंडिंग TH सेल को सक्रिय करेगा,
जो तब साइटोकिन्स को रिलीज करता है जो B
कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करने के लिए
प्रेरित करता है, जिससे B सेल के हजारों समान क्लोन बनते हैं। ये बेटी ( daughter cells ) कोशिकाएँ या तो प्लाज्मा कोशिकाएँ या
मेमोरी कोशिकाएँ बन जाती हैं। मेमोरी बी कोशिकाएं यहां निष्क्रिय रहती हैं;
बाद में जब ये मेमोरी बी कोशिकाएँ पुनर्जन्म के
कारण एक ही एंटीजन से मिलती हैं, तो वे प्लाज्मा कोशिकाओं
को विभाजित करते हैं और बनाते हैं। दूसरी ओर, प्लाज्मा कोशिकाएं बड़ी संख्या में एंटीबॉडी का उत्पादन
करती हैं जो कि संचार प्रणाली ( blood stream )में मुक्त होती हैं।
एंटीबॉडी-प्रतिजन
प्रतिक्रिया(antigen antibody reaction)
अब ये एंटीबॉडी एंटीजन का
सामना करेंगे और उनके साथ बंधेंगे। यह या तो मेजबान (host) और बाहरी (foreign) कोशिकाओं के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया ( यानी
की हमारे शारीर के सेल और बहरी
इन्फेक्टेंट्स ) में हस्तक्षेप करेगा, या वे अपने उचित कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले एंटीजन साइटों के बीच पुल
बना सकते हैं, ( यानी वे एंटीजन के कार्य करने में बाधा उत्पन्न करेगा
) या उनकी उपस्थिति
मैक्रोफेज या हत्यारे कोशिकाओं ( किलर सेल्स
मक्रोफगेस ,killer cells / macrophages ) को हमला करने और
उन्हें फैलाने के लिए आकर्षित करेगी।
निष्कर्ष :
हेल्पर टी सेल्स रिलीज़ करता है इंटरलुकिन 1- 5 जो बी सेल पर काम करता है और इसको परिपक्व करता है प्लाज्मा सेल्स | ये प्लाज्मा सेल्स में एंटीबाडी से भरा होता है , और यही प्लाज्मा थेरेपी में काम आता है तो आप कह सकते है यही ह्मोयूमोरल इम्युनिटी काम आता है कोरोना में प्लाज्मा थेरेपी में |
दूसरा है सेल मेडीयेटेड (cell mediated immunity) |
शारीर में दोनों इम्युनिटी एक साथ में काम करता है , इसको टी सेल मेडीयेटेड इम्युनिटी भी कह सकते हैं | इसका काम फागोसाईटोसीस(phagocytosis) करना होता है |
। यह
वायरस-संक्रमित कोशिकाओं को हटाने में सबसे प्रभावी है, लेकिन फंगल , प्रोटोजोअंस, कैंसर और इंट्रासेल्युलर बैक्टीरिया के खिलाफ बचाव में
भी भाग लेता है।
कितने दिनों के लिए हमारे एंटीबॉडी हमारी बचाव करेगी |(कोरोना होने के बाद )
अब हमारा सवाल ये है की ये कितने दिन, तो साधारणतः कोई भी वायरस के कारन एंटीबाडी 3-4 सीजन तक रहता है और एक सीजन ३-४ महीने का होता है मतलब 9 महीने तक रह सकता है यानी आपको एक कोरोना हो तो आप कम से कम एक साल तक बच सकते हैं |
अगर हमें हमेशा के लिए इम्यून होना है तो सेल मेडीयेटेड इम्युनिटी जरूरी है |
ऑक्सफ़ोर्ड ने हाल में ही ये दावा किया है की उनके द्वारा बनायीं गयी वैक्सीन में दोनों इम्युनिटी मिलेगी |
अगर जानकारी अच्छी लगी तो शेयर करें |
कितने दिनों के लिए हमारे एंटीबॉडी हमारी बचाव करेगी |(कोरोना होने के बाद )
अब हमारा सवाल ये है की ये कितने दिन, तो साधारणतः कोई भी वायरस के कारन एंटीबाडी 3-4 सीजन तक रहता है और एक सीजन ३-४ महीने का होता है मतलब 9 महीने तक रह सकता है यानी आपको एक कोरोना हो तो आप कम से कम एक साल तक बच सकते हैं |
अगर हमें हमेशा के लिए इम्यून होना है तो सेल मेडीयेटेड इम्युनिटी जरूरी है |
ऑक्सफ़ोर्ड ने हाल में ही ये दावा किया है की उनके द्वारा बनायीं गयी वैक्सीन में दोनों इम्युनिटी मिलेगी |
अगर जानकारी अच्छी लगी तो शेयर करें |
Comments
Post a Comment