यु ही कल पार्क में घुमने निकला तो काफी बुजुर्ग दिखे कुछ से मेरी पहचान भी थी मैंने पूछा की कैसे हैं अंकल ?तो जबाब आया बेटा कोरोना का तो पता नही पर जोड़ो के दर्द से मरे जा रहे हैं आखिर क्यूँ होता है इतना दर्द कुछ दावा या उपाय बताओ आखिर क्यूँ ये दर्द साथ नही छोड़ रहा न चला जा रहा न बैठा जा रहा |
मैंने उनसे कुछ बातें साझा की जो आपके लिए भी बहुत फायदेमंद हो सकता है , तो आईये जाने हड्डियों ,जॉइंट्स और जॉइंट्स पेन के बारे में |
उम्र के साथ हड्डियाँ कमजोर पड़ जाती है ये तो सबको मालुम है पर ऐसा होता क्यूँ है ये सवाल ज्यादा जरूरी है
तो उम्र के साथ हमारे शरीर में बदलाव आता है ,हमारा शरीर उत्तकों से बना है जो स मय के साथ उसमे फर्क आने लगता है
अब आखिर फर्क क्यूँ आता है ये बड़ा सवाल है तो महिलाओ में जब मासिक(PERIODS) बंद हो जाता है जिसके कारण हॉर्मोन में बड़ा बदलाव आता है यही बदलाव के हड्डियों में न पोसक तत्वा ठहरते और न ही आतों द्वारा उसका अवशोषण (ABSORPTION )ठीक से होता है | यही पुरुषों में भी जब TESTOSTERON का श्राव कम हो जाता है तो हड्डियाँ कमजोर होने लगती है |
आईये जानते हैं की दो ऐसे दर्द के कारण जो बढती उम्र के साथ आपको परेशान कर सकते हैं
तो पहला है ओस्टियोआर्थराइटिस और दूसरा है ओस्टियोपोरोसिस
ओस्टियोआर्थराइटिस जिसमे
जोड़ो में दर्द और जकड पैदा करने वाली बीमारी
ओस्तिओपोरोसिस हड्डियों का कमजोर हो जाना
उम्र बढ़ने के साथ हमरे सरीर की पाचन क्षमता कम हो जाती है जिसके कारन हड्डियों की हेल्थ के लिए जरूरी कैल्शियम और और विटामिन डी उसके मेटाबोलिज्म में फर्क पड़ता है और इनकी मात्रा शरीर में कम हो जाती है |और इसका असर हड्डियों पर पड़ता है |
हड्डियों में कैल्शियम का स्टॉक कम पद जाता है ये हड्ड्याँ कमजोर हो जाती है ,जिसके वजह से जरा सी चोट लगने पर फ्रैक्चर हो सकते हैं कारन कैल्शियम की कमी |थाइरोइड और डायबिटीज भी कैल्शियम का कमी कर सकता है |
हड्डियों और जोड़ो को तन्दुरुस्त रखने की प्रक्रिया बचपन से ही शुरू हो जाती है
जिंदगी के शुरुआती के ३० -४० साल बहुत जरूरी है ताकि शरीर की लचक बनी रहे हड्डियों की ताकत बनी रहे
इस समय जितना ब्य्याम दौडभाग कर सकते हैं करें ,४० के बाद हड्डियों की ताकत बढ़ाना मुस्किल काम है |
४५ साल के अस्स्पस आप हड्डियों का सिर्फ मैन्टेनेंस कर सकते हैं
रोज २-३ किलोमीटर रोज चलें मोर्निंग वाक या इवनिंग वाक करें , इससे हड्ड्याँ में लचक बनी रहती है |योग और प्राणायाम का सहारा ले सकते हैं | लिफ्ट के जगह सीढियों का प्रयोग करें हड्ड्याँ और मंश्पेसी दोनों में मजबूती मिलेगी |
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