पै रों में दर्द एक आम समस्या है। । यह जरूरी नहीं है कि ऐसा किसी बीमारी की वजह से ही हो। कई बार सामान्य से लगने वाली बातें पैरों की सेहत को बिगाड़ सकती हैं। हमारा पैर हड्डियों, मांसपेशियों, स्नायुबंधन, नसों और टेंडन से बना होता है। ये सभी शरीर के वजन को संतुलित करके आसानी से चलने में मदद करते हैं। इन हिस्सों में सूजन, दर्द और बेचैनी के कारण पैर में दर्द हो सकता है। पैरों में दर्द आम समस्या है, पर ध्यान न देने पर यह गंभीर हो सकती है।
अनदेखा न करें तेज दर्द
पैरों में अचानक हुआ तेज दर्द जो कम नहीं हो रहा हो, अनदेखा न करें। धूम्रपान करने वाले, मधुमेह रोगी, हाईबीपी व उच्च कॉलेस्ट्रॉल से जूझ रहे लोगों में तेज पैर दर्द, पैरों का ठंडा होना व उंगलियों के रंग बदलने जैसे लक्षण दिखने परु तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह रक्तसंचार से जुड़ी समस्या हो सकती है। मधुमेह रोगियों में पैर में लगी छोटी-सी चोट अल्सर या गैंगरीन का रूप ले सकती है।
एनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ध्रुव रावल बताते हैं, 'हड्डी और नसों पर लगातार पड़ रहे दबाव, दौड़ने व कूदने जैसी उच्च-प्रभाव वाली गतिविधियों से पैर के मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में सक्ष्म स्तर परएनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ध्रुव रावल बताते हैं, 'हड्डी और नसों पर लगातार पड़ रहे दबाव, दौड़ने व कूदने जैसी उच्च-प्रभाव वाली गतिविधियों से पैर के मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में सूक्ष्म स्तर पर ट्रॉमा पैदा हो सकता है। लिगामेंट व टेंडन में सूजन आ सकती है। खराब फिटिंग वाले जूते, ऊंची एड़ी या अपर्याप्त एड़ी सपोर्ट वाले जूते, पैर के प्राकृतिक बायोमैकेनिक्स को बाधित करते हैं। इससे पैर में दर्द व बेचैनी होने लगती है। लंबे समय तक असमान्य ढंग से चलना और मोटापा भी दर्द का कारण बन सकता है।
आर्च संबंधी दिक्कतें हैं बड़ी वजह
फ्लैट फीट : आमतौर पर यह समस्या जन्मजात होती है। कई बार हड्डियों व जोड़ों पर दवाब के कारण भी पैर का घुमावदार हिस्सा यानी आर्च कम होने लगती है। इससे संतुलन व सही पॉस्चर में दिक्कत आती है और दर्द होता है। ऐसे में हाई आर्च या खास सोल युक्त जूते, सही फिटिंग के जूते पहनने की सलाह दी जाती है। फुट रॉल्स व कॉफ स्ट्रेच समस्या को बढ़ने से रोकते हैं।
हाई आर्च: इसमें तलवे का घुमावदार हिस्सा ज्यादा ही ऊपर की Gold ओरजेनेटिक हो सकता है और तंत्रिका तंत्र या हड्डियों से जुड़ी गड़बड़ी के कारण भी। पैर के मध्य की हड्डी में दबाव पड़ने के कारण दर्द होता है। फिजियोथेरेपी से बड़ा आराम मिलता है।
क्लॉ टो : इसमें पैर की उंगलियां अंदर की ओर मुड़ने लगती हैं। यह न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर बढ़ती उम्र व गलत फिटिंग के जूते पहनने से हो सकता है। ऐसे में मिड फुट बार युक्त जूते पहनने की सलाह दी जाती है। तंग जूते पहनने से मना किया जाता है।
दर्द के ये भी कारण 1. प्लांटर फेशियाटिस: यह एड़ी के पास पैर
के तलवे में चुभने वाला दर्द है। सुबह के समय पहला कदम रखने पर दर्द तेज होता है। इसमें प्लांटर फेशिया में सूजन आ जाती है। प्लांटर फेशिया ऊतकों के एक मोटे फीते के समान है, जो पैर के निचले हिस्से में मौजूद होता है। यह एड़ी की हड्डी से लेकर पैर की उंगलियों तक जाता है। लंबे समय तक खड़े व बैठे रहने से उत्पन्न खिंचाव से भी ऐसा हो सकता है
मेटाटार्सलगिया : मेटाटार्सल हेड में सूजन के कारण यह दर्द होता है। यह पैर के पंजे में पांचहड्डियों का एक समूह है, जिससे एड़ी और टखने का निर्माण होता है। इससे दर्द व मूवमेंट में दिक्कत होती है।
3. न्यूरोपैथिक दर्द झुनझुनी के साथ पैरों व
- पंजे में दर्द होता है। मधुमेह के कारण तंत्रिका में आई गड़बड़ी से ऐसा होता है।
4. टेंडोनाइटिस : एड़ी या टखने में दर्द के
साथ टेंडन में सूजन आ जाने से यह दर्द होता है। टेंडन वे कनेक्टिव टिश्यू हैं, जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं।
गठिया : पैर के जोड़ों में संक्रमण, सूजन या विकृति आने से उनमें दर्द रहने लगता है
यह सबसे आम बीमारी है। जोड़ों में सूजन, ऑटोइम्यून डिसॉर्डर व हड्डियों की कमजोरी के कारण ऐसा हो सकता है।
6.
गाउट : यह सूजन संबंधी गठिया है, जो हड्डी में खासकर बड़े पैर के अंगूठे में यूरिक एसिड के जमाव के कारण होता है।
7.
बर्साइटिस: पैर के पंजों में बर्सा की सूजन
के कारण पैरों में दर्द होता है। बर्सा, फ्लुइड से भरी थैलियां होती हैं, जो टिश्यू के आसपास कुशन का काम करती हैं। चोट, खास भाग का ज्यादा इस्तेमाल व संक्रमण इसकी वजह हो सकते हैं।
8.स्ट्रस फ्रैक्चरः पैर पर लगातार दबाव से पैर की हड्डियों में माइक्रो फ्रैक्चर हो जाते हैं।
यह समस्या एथलीटों में होती है।
9
. टर्सल टनल सिंड्रोम : यह पोस्टीरियर
टिबियल तंत्रिका (पैर की एक तंत्रिका) के दबने के कारण होता है। इससे झुनझुनी, सुन्नता व दर्द होता है। मॉर्टन न्यूरोमा मेटाटार्सल हेड्स के बीच मौजूद तंत्रिका के किसी कारणवश मोटे होने के कारण भी पैरों में तेज या जलन वाला दर्द होता है।
'पैरों में दर्द से होगा बचाव
• 1. उचित जूते पहनना : पर्याप्त एड़ी सपोर्ट, कुशनिंग और उचित फिट वाले जूते, पैर का तनाव कम करते हैं।
2. स्वस्थ वजन : मोटापा पैरों की संरचना और जोड़ों पर दबाव डालता है, इससे बचें।
3. स्ट्रेचिंग और मजबूती देने वाले व्यायाम : पैर और टखने के व्यायाम लचीलापन बढ़ाते हैं और चोट लगने के जोखिम को कम करते हैं।
4. लगातार खड़े रहने या बैठने से बचना : काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लें। टहलें या पैरों को स्ट्रेच करें।
5. ऑर्थोटिक सपोर्ट: कस्टम ऑर्थोटिक्स व शू इंसर्ट बायोमैकेनिकल असंतुलन को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
6. पैरों की स्वच्छता नियमित धुलाई, मॉइस्चराइजिंग व नाखूनों की देखभाल पैरों की त्वचा के संक्रमण से बचाव करती है।
7. रोगों का उपचार: मधुमेह, गठिया और नस वाले रोगों को नियंत्रित करने से पैरों को होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है।
8, दवा व सर्जरी
इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दर्द व सूजन कम करती हैं।
गैर-स्टेरायडल एंटी
दर्द अधिक होने पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शंस दिए जाते हैं। अंतिम सर्जरी व रिप्लेसमेंट का सहारा लिया जाता है।
उपचार
उपचार का तरीका दर्द के कारण और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। तरीके जो राहत देते हैं-
1. परंपरावादी उपचारः आराम
और बर्फ चिकित्साः दर्द वाले स्थान पर 15-20 मिनट तक आइस पैक लगाने से सूजन व दर्द कम होता है।
2. दबाव और ऊंचाई: कंप्रेशन पट्टियों का उपयोग और पैर को ऊपर उठाकर कुछ देर करना सूजन कम करता है।
3. पैर की मालिश : परिसंचरण में सुधार व मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में मदद मिलती है।
4. स्ट्रेचिंग और व्यायामः पैर की गतिशीलता बढ़ाने के लिए विशिष्ट मांसपेशी समूहों को लक्षित करने वाले व्यायाम इसमें शामिल हैं। फिजियोथेरेपी की मदद ली जाती है।
5. सहायक जूते और ऑर्थोटिक्स का उपयोगः खास जूते दर्द वाले क्षेत्रों पर पड़ने वाले तनाव को कम कर सकते हैं। फ्लैट फुट व पैरों में दर्द होने पर खास सोल वाले जूते पैर पर पड़ने वाले दबाव को कम कर दर्द में राहत देते हैं
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